पिछले दिनों राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने एक फैसले में एक भिखारी को 50000 रूपए मुआवजा देने का आदेश दिया.
भिखारी का नाम शेल्टन मेसरवास है. जो पणजी गोवा का रहने वाला है.47 वर्षीय इस भिखारी को एक पुलिसकर्मी ने उठाकर कूड़ेदान में फ़ेंक दिया था. अब आयोग ने इस पुलिसकर्मी के वेतन से यह रकम देने का आदेश दिया है.
हाल के मानवाधिकार आयोग के फैसलों में से इस फैसले का ख़ास महत्त्व है क्योंकि आयोग का यह फैसला एक व्यक्ति के मानवाधिकार को बड़ी ही सूक्ष्मता से परिभाषित करता है.
दरअसल भारत जैसे देश में जहां जान की कीमत समझी नहीं जाती है वही यह फैसला एक बेहद उम्दा नजीर है और यह लोगों को आईना दिखाने का काम भी करेगा.
यह फैसला आने वालों दिनों में राज्य मानवाधिकार आयोगों को भी इस तरह के फैसले लेने में प्रेरित करेगा.