Tuesday, March 15, 2011

ब्लॉग से दूर होते जा रहे युवा

ब्लॉग को शुरू हुए 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं.जब यह शुरू हुई थी तो उस वक़्त यह बिलकुल नई  चीज थी.

जाहिर सी बात है नई चीज के प्रति लोग जल्द आकर्षित होते हैं.इसलिए धीरे-धीरे लोगों में खासकर युवाओं  में ब्लॉगिंग के प्रति रूचि बढ़ी.

धीरे- धीरे इसलिए भी कि आज से कोई 10 साल पहले इन्टरनेट तक लोगों की पहुंच कम थी. पर जैसे -जैसे इन्टरनेट तक लोगों की पहुंच आसान होती गई  और इन्टरनेट उपयोग करने के  मूल्य में कमी आती गई ब्लॉगिंग युवाओं में गहरी  पैठ   बनाती  चली गई.


मैंने   इन्टरनेट पर अपना  अकाउंट 1996 में बना लिया था.उस वक़्त मैं सिर्फ मेल चेक करने और मेल करने के लिए ही इन्टरनेट का इस्तेमाल करता था.

इन्टरनेट पर जब मैंने पहली बार ब्लॉग शब्द देखा तो मुझे समझ में नहीं आया कि यह  किस बाला का नाम है.एक बात यह भी थी कि मैंने भी इस बारे में जानकारी लेने की  कोई  ख़ास कोशिश नही की.


इंटरनेट इस्तेमाल करने में लगने वाला पैसा भी मुझे इस बारे में और ज्यादा जानने के लिए रोकता था. उस वक्त इंटरनेट इस्तेमाल  करने का प्रति खंता शुल्क 10 से 15 रूपए था.


ब्लॉगिंग का युवाओं में  चलन बढ़ने का एक सबसे बड़ा कारण यह भी रहा कि पहली  बार युवाओं को अपनी बात ब्लॉग  के माध्यम से रखने और उसे अपने दोस्तों से  शेयर करने का मौका मिला.


मीडियम चुकी  इन्टरनेट का था लिहाजा ब्लॉगर्स को अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का मौका मिला. लिखने की आजादी  ने भी युवाओं को इस ओर जल्द ही आकर्षित  कर लिया. देखते ही  देखते इन्टरनेट पर  तरह- तरह के नामों वाली कई ब्लॉग्स  आ गए.

ब्लॉग के साथ एक  और ख़ास बात यह  रही कि जैसे- जैसे इंटरनेट की पहुंच लोगों तक आसान होती गई इन्टरनेट इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों खास कर युवाओं ने  ने  अपना- अपना ब्लॉग बना लिया.


पर  जैसा कि  हर नए माध्यम के साथ होता है, ब्लॉगिंग भी धीरे-धीरे अपना आकर्षण खोने लगा.  इसकी एक बड़ी वजह रही ब्लॉग को लगातार अद्यतन (उप टु डेट)  रखने की समस्या.

अगर आपके  ब्लॉग पर लोगों को नई चीज़े  पढने को नहीं मिलती   है तो लोग ऐसे  ब्लॉग पर नहीं आना पसंद करेंगें. अपने  ब्लॉग को लगातार उप टु डेट रखना कोई आसान काम भी नहीं है.

किसी विषय पर लिखने में समय लगता है.अगर आपने अच्छा लिखा है तो ही लोग आपका ब्लॉग पढ़ने को आकर्षित होंगें.

पर ज्यादातर ब्लॉग्स के साथ समस्या रही स्तरहीन सामग्री  की.लोगों ने ब्लॉग तो बना लिए पर ब्लॉग पर क्या लिखे  वे यह तय नहीं कर पाए .


बीच में तो ब्लॉग अपनी भड़ास निकालने का  माध्यम बन गया.लिहाजा सरकार को सख्त होना पड़ा और सरकार ने नोटिस  जारी करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति विशेष का ब्लॉग अगर किसी की मानहानि करता है तो ऐसे ब्लॉग ओनर्स पर कानूनी कार्यवाई की जाएगी.


ब्लॉग लिखने वाले ऐसे कुछ लोगों पर क़ानूनी कार्यवाई भी हुई. ब्लॉग से युवाओं का दूर होने में यह भी एक बड़ा कारण रहा.


अब ब्लॉग  तो लोगों ने बना लिए पर उनका ब्लॉग लोग पढ़े इसके लिए  लोग  अपने-अपने ब्लॉग की  लिंक एकदूसरे को भेजने लगे.

अब इस युग में आदमी के पास जो एक चीज नहीं है वह है वक़्त. तो लोग बाग़ ब्लॉग तो लिखते रहे पर अपनी ब्लॉग दूसरों को पढ़वाने के चक्कर में दूसरे की ब्लॉग नहीं पढ़ा . दूसरा समय की कमी की वजह से लोग अपनी ब्लॉग भी उप टू डेट नहीं रख  पाते.


इस सब  के बीच सोशल नेट्वर्किंग  साइट्स जैसे ऑरकुट, फेसबुक और माइक्रो  ब्लॉगिंग साइट ट्विट्टर ने तेजी से लोगों के बीच अपनी जगह बैठा ली. इन साइट्स की लोगों के बीच  जल्द पैठ बैठाने की वजह रही  इनका  यूजर फ्रेंडली होना.


इन साइटों पर आप अपनी बात फ़ौरन किसी  से शेयर कर सकते है. जिसे आप पसंद करते हो उन्हें अपना दोस्त बना सकता है. अपनी बात एक समय में कई लोगों तक पहुंचा सकते है.अपनी तस्वीरें शेयर कर सकते है.

ब्लॉग में भी आप कई सारे दूसरे ब्लॉगर्स को जोड़ सकते है पर  इसके लिए सबसे पहले आपको अपने ब्लॉग पर लिखना होगा.साथ ही उनके ब्लॉग्स भी पढ़ने होंगें तभी वे भी आपकी ब्लॉग पढ़ने कि ज़ेहमत उठाएगें.

कविता हो कहानी हो  या किसी मुद्दे पर अपनी  बात रखना लिखना और स्तरीय लेखनी की समस्या ब्लॉगर्स को ब्लॉग की दुनिया से दूर लेती गई.

वही   ट्विटर  जिसपर आप  142  शब्दों से ज्यादा नहीं लिखा सकते है और फेसबुक पर कम से कम शब्दों में अपनी बात लाखों लोगों के साथ एक साथ शेयर कर सकते है.

ऐसा नहीं है कि आजकल के युवा  ब्लॉग नही लिख रहे है पर निश्चित तौर पर ब्लॉग लिखने वालों की संख्या में कमी आई है.

प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 2006 से 2009 के बीच 12 से 17 साल के युवाओं में ब्लॉग लिखने का  चलन आधा हो गया.

अब इस उम्र वर्ग के केवल 14 फीसदी युवा ब्लॉगिंग करते हैं. 18 से 33 साल के युवाओं में भी पिछले साल ब्लॉगिंग के चलन में कमी देखी गई.

मेरे कई ऐसे मित्र है जो पहले तो ब्लॉग लिखते थे पर अब समय की कमी की वजह से इसे अपडेट नहीं कर पा रहे है.  हां ये जरुर है की अब वो अपना समय ट्विटर और  फेसबुक  पर ज्यादा दे रहे है.

आने वाले समय में  ब्लॉगिंग की दुनिया का भविष्य क्या होगा यह तो निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता पर इतना जरुर है ही अभी युवाओं पर पूरी तरह से ट्विटर और फेसबुक का प्रभाव है और यह कब तक रहेगा यह कहा नहीं जा सकता.


पर हर चीज का एक स्वर्णकाल होता है. ऑरकुट जब शुरू हुआ था तो इस ने भी जल्द  ही युवाओं के बीच अपनी पकड़ बना ली थी. पर फेसबुक और ट्विटर आ जाने से अब ऑरकुट की चमक फीकी पड़ गई है.


उम्मीद की जा सकती है कि फेसबुक और ट्विटर के दिन भी लद सकते हैं पर उस समय इनकी जगह लेने कोई नई चीज आ जाएगी.

3 comments:

SANSKRITJAGAT said...
This comment has been removed by the author.
समय said...

शुक्रिया।

हरीश सिंह said...

" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, फालोवर अवश्य बने . . www.upkhabar.in