Sunday, July 15, 2012

                                   ममता को नहीं मिल रहा है कैंडिडेट
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने से इनकार करने के बाद अब उप राष्ट्रपति पद के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा सुजाए गए दो नामों बंगाल विधानसभा की पूर्व स्पीकर कृष्णा बोस और बंगाल के ही पूर्व राज्यपाल रहे और गांधी  जी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी में से गोपाल गांधी ने उप राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.इससे ममता  बनर्जी को दोहरा झटका लगा है. पहला झटका कलाम ने पिछले महीने दिया था जब उन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव दोबारा लड़ने से मना कर दिया था.अब गांधी के इनकार के बाद ममता के सामने अजीब सी पैदा हो गई है.इससे कई सवाल भी खड़े हो गए हैं..पहला ये कि ममता बनर्जी जब किसी उम्मीदवार के नाम का एलान करतीं हैं तो क्या वह सम्बंधित उम्मीदवार से पूछती नहीं है कि वो चुनाव लड़ना चाहते भी हैं या नहीं.दूसरा सवाल ये है कि क्या ममता बनर्जी के पास कोई इनके अलावा कोई और कैंडिडेट नहीं है जो ये चुनाव लड़ सके? सवाल यह भी उठता है कि क्या ममता बनर्जी सिर्फ यूपीए का विरोध करने के लिए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की घोषणा कर रही हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने उन्हें बंगाल पैकेज देने से इनकार कर दिया है?
जो भी हो मगर कलाम और गोपाल गांधी के चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद ममता की राजनीतिक सोच पर सवालिया निशान जरुर लग गया है.

Friday, June 1, 2012

बीजेपी का दोहरा चरित्र

बुधवार(30 मई) को भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के नेतृत्व में पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल को वापस बुलाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मुलाकात की . बीजेपी का आरोप है कि बेनीवाल ने राजस्थान में 600 करोड़ रूपए की कृषि भूमि पर कब्जा कर रखा है.प्रतिनिधिमंडल ने अपने मांग के समर्थन में राष्ट्रपति को कुछ दस्तावेज भी सौंपे हैं जिसमें उन्होंने जयपुर के सहकारिता रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा 2 मई को जारी आदेश के बारे में उन्हें जानकारी दी.

गडकरी ने कहा कि सहकारिता रजिस्ट्रार ने कहा है कि राजस्थान सरकार की 1000 करोड़ रूपए की जमीन को हड़पने के लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया गया है.बेनीवाल ने इस जमीन के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.हालांकि, कमला बेनीवाल का दावा है कि वे और सोसायटी के अन्य सदस्य पिछले 58 साल से इस जमीन पर 16 घंटे कृषि श्रम कर रहे थे. वहीं रजिस्ट्रार ने अपने आदेश में इस दावे को गलत ठहराया है.

गडकरी ने कहा कि जबतक बेनीवाल राज्यपाल हैं तबतक राजस्थान सरकार उनपर मामला दर्ज नहीं कर सकती है, लिहाजा बीजेपी ने राष्ट्रपति से मांग की है वे कमला बेनीवाल को पद से हटाने का आदेश दें ताकि जमीन पर कब्जे के मामले की जांच पूरी हो सके.

अब सवाल ये उठता है कि यही भाजपा, यही स्टैंड गुजरात के सन्दर्भ में क्यों नहीं उठाती है.जहां, साल 2002 में हुए गोधरा में ट्रेन को जलाने (जिसमें 59 लोग जिन्दा जल गए थे) के बाद भड़के साम्प्रदायिक दंगों में 2000 से ज्यादा मुसलमान भाईयों को अपनी जान गवानी पड़ी थी. यदि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते तो इतने बड़े पैमाने पर हुए खून खराबे को रोका जा सकता है .मगर उन्होंने इन दंगों को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए.

बीजेपी ने जो मांग राष्ट्रपति से बेनीवाल के सम्बन्ध में की है, वही पैमाना वह मोदी के लिए क्यों नहीं अपनाती है? क्या यह संभव है कि मोदी के पद पर रहते गुजरात में दंगों से सम्बंधित कोई भी जांच निष्पक्ष रूप से चल सके? मगर बीजेपी मोदी को दंगों के लिए दोषी नहीं मानती है.यही भाजपा के दोहरे चरित्र को उजागर करता है. एक तरफ तो वह यह मानती है किसी व्यक्ति के पद पर रहने से उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं चलाई जा सकती है,मगर यही बात वह गुजरात के सन्दर्भ में लागू नहीं करती है. किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई आरोप लगता है और मोटे तौर पर यह लगता है कि मामले में उस व्यक्ति की संलिप्तता है, तो ऐसे में उस व्यक्ति को पद से हटा दिया जाना चाहिए तभी उसके खिलाफ जांच बिना भेदभाव के चल सकती है.

आम जीवान में भी किसी सरकारी दफ्तर में किसी के खिलाफ गम्भीर आरोप लगने पर पहले उस व्यक्ति को निलंबित कर दिया जाता है उसके बाद ही उसके खिलाफ जांच शुरू होती है.मगर बीजेपी दोहरे चरित्र की शिकार है. वह करती कुछ और कहती कुछ और है.